MAA AUR BHI YAAD AATI HAI.... 
माँ और भी याद् आती हे....... 


बिन कुछ मांगे बदले में हम पे इतना प्यार लुटाती है।
बाकी सब रिश्ते हैं मतलब कि माँ ही सच्चा रिश्ता निभाती है।
मगर ये बात जिंदगी में बड़ी देर से समझ में आती है।
जबसे मां बनी मां हु माँ और भी याद आती है।
जब से मां बनी हूं मां और भी याद आती है।
मेरी नन्ही परी भी बड़े प्यार से मां बुलाती है।
कहीं बाहर से जाकर आओ तो भाग् कर गले लगाती हैं।
हल्की सी चोट उसे लग जाए तो जान मेरी निकल जाती है।
जब से माँ बनी हु माँ और भी याद आती है।
बार बार शरारत करके कभी हंसाती कभी रुलाती है।
कितनी ही मिन्नतें करवाकर वह एक निवाला खाती है।
यूं ही बिन वजह कभी रातों को मुझे जगाती है।
जब से मां बनी हूं, मां और भी याद आती है।
जब वो बड़ी होगी तो कौन सा रास्ता अपनाएगी।
पापा से दिखेगी या मुझसे नजर आएगी।
अभी से उसके जीवन की चिंता मुझे सताती है।
जब से मां बनी हु माँ और भी याद आती है।
सोचती हूं कैसे उसको खुद से जुदा करूंगी।
मैं भी तो एक दिन अपनी बेटी को विदा करूंगी।
सोचती हूं कैसे एक दिन खुद से जुदा करूंगी।
मैं भी तो एक दिन अपनी बेटी को विदा करूंगी।
जाने क्यों बेटियों की किस्मत में ये जुदाई लिखी जाती है।
जब से मां बनी मां और भी याद आती है।
जब से मां बनी है मां और भी याद अति हे। 

CREDIT: THE POEM WAS WRITTEN BY PALVI GUPTA  



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