PAISA HI SAB KUCH NAHI - MONEY IS NOT EVERYTHING
फ्रेंड्स
हुम् सब की ज़िंदगी में एक दौड़
चल रही है। शायद यह कहानी सुनने
के बाद वह दौड़ ख़त्म हो जाएगी।
एक
बार एक राजा था। जिसके पास
बहुत से धन दौलत थी लेकिन वह
उससे संतुष्ट नहीं था। इसलिए
वह दूसरे राज्यो के ऊपर हमला
करता रहता था और उनके खजाने
भी लूट लेता था। उसने अपनी
प्रजा पर भी बहुत अत्याचार
किये थे और वह कभी उनकी भलाई
के लिए कोई काम नहीं करता था।
रानी
और शेज़ादों को अकसर शिकायत
रहती ती की राजा उनके साथ वक़्त
नहीं बिताता। लेकिन राजा को
हमेशा यही धुन सवार रहती कि
वह कैसे अपने खज़ाने को और बढ़ाए।
उसने आबादी से बाहर एक सुनसान
जगह पर एक तैखाना बना रखा था,
जिसमे
उसने अपने सारे ख़ज़ाने को
गुप्निया रूप में छुपा रखा
था। उस तैखाने के दो चावी थी
एक राजा के पास थी और उस के एक
ख़ास मंत्री के पास थी। उन
दोनों के इलावा उस ख़ज़ाने का
राज़ किसी को भी नहीं पता था।
राजा
अक्सर उस ख़ज़ाने को देखने जाया
करता था। एक दिन राजा अकेले
ही उस ख़ज़ाने को देखने चला गया।
वह दरवाज़ा खोलकर अंदर दाखिल
हो गया तभी उसका वह ख़ास मंत्री
वहा से गुजरा और उसने देखा कि
तैखाने का दरवाज़ा खुला है।
उसे लगा कि शायद कल जब कोई
तैखाना देखने आया तो उसने गलती
से उस दरवाज़ा खुला छोड़ दिया।
उसने जल्दी-जल्दी
दरवाज़ा बंध किया और वह से चला
गया।
उधर
राजा हीरो की चमक दमक देख कर
खुश हो रहा था। वह बहुत देर तक
सारे सामान को,
ख़ज़ाने
को,
हीरो
सोने चांदी को निहारता रहा
और खुश होता रहा।
अब
वह बाहर जाने के लिए दरवाज़े
के पास गया तो क्या देखता है,
दरवाज़ा
थो बाहर से बंद था। वह बहुत
ज़ोर-ज़ोर
से दरवाज़ा खट्ट खट्टा ने लगा।
लेकिन उसकी आवाज़ सुनने वाला
वह कोई नहीं था। वह कितने ई
देर तक आवाज़ लगाता रहा लेकिन
उसकी आवाज़ किसी ने नहीं सुनी।
अंत में वह हताश होकर बैठ गया।
वह भूक और प्यास से बेहाल हो
रहा था और रेंगते-रेंगते
हीरो के संदूक के पास गया और
कहा "ए
दुनिया के नायाब हीरो मुजे
एक गिलास पानी दे दो फिर वह
सोने चांदी के पास गया और कहा
ए सोने चांदी के ख़ज़ानों मुझे
एक वक़्त का खाना दे दो।"
लेकिन
ये सारे धन दौलत हीरे जवाहरात
बेकार थे। न तो वह हीरे खा सकता
था और नाही वह सोना और मोती पी
सकता था।
अंत
में वह भूख और प्यास से बेहोश
हो गया। कुछ वक़्त बाद जब उसे
होश आया तो उसने सारे हीरे
मोती जवाहरात ज़मीन पर बिछा
दिया और ख़ुद उस पर लैट गया।
वह दुनिया को एक संदेश देना
चाहता था। लेकिन उसके पास कागज़
और क़लम नहीं थी,
उसने
पत्थर से अपनी उंगली फोड़ी और
दीवार पर कुछ लिख दिया।
उधर
मंत्री और राज के बाक़ी लोग
राजा को ढूँढ रहे थे। तीन-चार
दिन बाद ढूँढते-ढूँढते
जब मन्त्री उस ख़ज़ाने के अंदर
पहुँचा तो क्या देखता है कि
राजा हीरे जवाहरात के सेज पर
मरा हुआ है और उसके लाश को कीड़े
मकोड़े खा रहे है और सामने दीवार
पर लिखा हुआ था कि "ये
सारी दौलत एक घूंट पानी और
निवाला नहीं दे सकती।"
दोस्तों,
पैसे
की ज़रूरत ज़िन्दगी में सिर्फ़
उतनी ही जितनी गाड़ी को चलाने
के लिए पेट्रोल की होती है।
पेट्रोल उस गाड़ी को चलाने के
लिए है लेकिन वह गाड़ी पेट्रोल
इक्कठा करने के लिए नहीं बनी
है। कल के लिए बचा कर रखना एक
अछि आदत है लेकिन कई बार हम
पैसा कमाने में इतना व्यस्त
हो जाते है कि कितने ही हसीन
लम्हे को गवा देते है और बाद
में वही पैसा ख़र्च कर के हम
वह लम्हें नहीं खरीद सकते।
तो
दोस्तों आइये हम उस पैसे से
ज़्यादा अपनो को और उस हसीन
लम्हों को अहमियत दे और ज़िन्दगी
पैसा कमाने के लिए न जिये।
Post a Comment
if you have any doubts, please let me know